भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

कउन बन उपजे हे नरियर, कउन बन उपजे अनार हे / मगही

Kavita Kosh से
Sharda suman (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 14:01, 11 जून 2015 का अवतरण

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

मगही लोकगीत   ♦   रचनाकार: अज्ञात

कउन<ref>किस</ref> बन उपजे<ref>उपजता है</ref> हे नरियर, कउन बन उपजे अनार हे।
ललना, कउन बन उपजे गुलाब, तो चुनरी रँगायब हे॥1॥
बाबा बन उपजे हे नरियर, भइया बन अनार हे।
ललना, सामी<ref>स्वामी</ref> बन उपजे गुलाब, त चुनरी रँगायब हे॥2॥
से चुनरी पेन्हथिन<ref>पहनेगी</ref> सुगही,<ref>सुगृहिणी</ref> दुलरइतिन<ref>दुलारी</ref> सुगही हे।
ललना, पेन्हिए चललन पानी लावे, चुकवन<ref>मिट्टी का छोटा पात्र या चुक्कड़</ref> पानी भरे हे॥3॥
बटियन<ref>रास्ते में</ref> पूछऽ हे बटोहिया, त कुआँ पनिहारिन हे।
ललना, केकर हहु तोंहि बारी-भोरी,<ref>कमसिन और भोली-भाली</ref> कउन भइया के दुलारी हे।
ललना कउन पुरुसवा के नारी, त चुकवा लेइ पानी भरे हे॥4॥
बाबा के हम हीअइ<ref>हूँ</ref> बारी,<ref>कम उम्रवाली लड़की</ref> त भइया के दुलारी हे।
ललना, सामी जी के अलप<ref>अल्प, अथवा अत्यन्त लप-लप पतली</ref> सुकुमारि, चुकवा सन<ref>से</ref> पानी भरी हे॥5॥
मचिया बइठल तुहूँ सासुजी, सुनहऽ बचन मोरा हे।
ललना, रहिया में मिलल एक रजवा<ref>राजा</ref> त बदन निहारइ हे।
ललना, बोले लगल बचन कुबोल,<ref>नहीं बोलने योग्य</ref> करे लगल हाँसी हे॥6॥
कइसन<ref>कैसा</ref> हइ उजे<ref>वह जो</ref> रजवा, कइसन रँग हाथी हे।
ललना, कइसन हकइ<ref>है</ref> महाउत,<ref>महावत</ref> कहि समुझावहु हे॥7॥
करिया रंग के हथिया से गोरे महाउत हे।
ललना, सुन्नर बदन के जे रजवा से बदन निहारइ हे॥8॥
हँसि-हँसि बोलथिन<ref>बोलती है</ref> सासुजी, तुहूँ बहू बोदिल<ref>नासमझ, बोदा</ref> हे।
ललना, रजवा हकइ मोर बेटवा, आयल परदेश करि हे।
ललना, दुअरे बाँधल हकइ हथिया, तोहर परभु आयल हे॥9॥

शब्दार्थ
<references/>