भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

कठ-पुतली है या जीवन है / निदा फ़ाज़ली

Kavita Kosh से
Sharda suman (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 12:53, 11 फ़रवरी 2013 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=निदा फ़ाज़ली }} Category:गज़ल <poeM> कठ-पुत...' के साथ नया पन्ना बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

कठ-पुतली है या जीवन है जीते जाओ सोचो मत
सोच से ही सारी उलझन है जीते जाओ सोचो मत.

लिखा हुआ किरदार कहानी में ही चलता फिरता है
कभी है दूरी कभी मिलन है जीते जाओ सोचो मत.

नाच सको तो नाचो जब थक जाओ तो आराम करो
टेढ़ा क्यूँ घर का आँगन है जीते जाओ सोचो मत.

हर मज़हब का एक ही कहना जैसा मालिक रक्खे रहना
जब तक साँसों का बंधन है जीते जाओ सोचो मत.

घूम रहे हैं बाज़ारों में सरमायों के आतिश-दान
किस भट्टी में कौन ईंधन है जीते जाओ सोचो मत.