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कतय हेरायल गाम यै / रूपम झा

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बिनु बाजल खिड़की सँ
खिल रौद आबै अछि
छुबि-छुबि देह गात
गुदगुदी लगाबै अछि
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संग-संग पवन मंद
भरलक सुरभित सुगंध
नहि जनय बंद-बंध
फुसुर-फुसुर कान मे
मधुर गीत गाबै अछि
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गाछ-गाछ मंजर अछि
दृश्य कतेक सुन्दर अछि
चिडै अछि छोट-छोट
खूब पैघ अम्बर अछि
दाना चूनैक लेल, आँगन मे आबै छै
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एतय ओतय जीवन अछि
साँस अछि धड़कन अछि
ई धरती मधुबन अछि
अय धरती पर प्राणी
स्वरगक सुख पाबै अछि।