Last modified on 1 फ़रवरी 2011, at 19:34

कथनी पर करनी फेरात नइखे / धरीक्षण मिश्र

अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 19:34, 1 फ़रवरी 2011 का अवतरण (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=धरीक्षण मिश्र |संग्रह= }} {{KKCatKavita‎}} [[Category:भोजपुरी भाष…)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

धरीक्षण मिश्र का यह गीत अधूरा है, आपके पास हो तो इसे पूरा कर दें

कथनी पर करनी फेरात नइखे,
दिमाग गरम रह ता कबो सेरात नइखे,
हर के दुगो बैल कइसे मान होइहें सन
जब एगो बुढ़ गाई घेरात नइखे ।