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कथी बिनु कोसी मुँह मलिन भेलों / अंगिका

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   ♦   रचनाकार: अज्ञात

कथी बिनु कोसी मुँह मलिन भेलों
कथी बिनु गुरमें शरीर ।
पान बिनु मुँहमा मलिन भेलै सेवक
मधु बिनु गुरमै शरीर ।
पनमा जे खेलियै सेवक, मुँहमां रंगेलियै हो,
लड्डू बिनु गुरमै शरीर ।
लडुआ जे देले मलहा हृदय जुड़ाएल,
पाठी बिनु डोलैये शरीर । रो पाठी
कर जोड़ी मिनती करै छी मैया कोसिके
देवौं गे माता पाठी देवौं भोगार ।
वेरिया परले कोसी माय कोई ना गौ गोहारी,
तहुँ न माय होइयो न सहाय,
गौ गरूआ के बेरि ।
गावल सेवक जन दुअ कर जोड़ि
गरू वेर होउ ने सहाय ।