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"कनुप्रिया - सेतु : मैं / धर्मवीर भारती" के अवतरणों में अंतर

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जिस को जाना था वह चला गया -<br>
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लीलाभूमि और युद्धक्षेत्र के<br>
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काँपता-सा, यहाँ छूट गया - मेरा यह सेतु जिस्म
  
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काँपता-सा, यहाँ छूट गया - मेरा यह सेतु जिस्म<br><br>
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- जिस को जाना था वह चला गया
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18:16, 7 जुलाई 2020 का अवतरण

नीचे की घाटी से
ऊपर के शिखरों पर
जिस को जाना था वह चला गया -
हाय मुझी पर पग रख
मेरी बाँहों से
इतिहास तुम्हें ले गया!

सुनो कनु, सुनो
क्या मैं सिर्फ एक सेतु थी तुम्हारे लिए
लीलाभूमि और युद्धक्षेत्र के
अलंघ्य अन्तराल में!

अब इन सूने शिखरों, मृत्यु-घाटियों में बने
सोने के पतले गुँथे तारों वालों पुल- सा
निर्जन
निरर्थक
काँपता-सा, यहाँ छूट गया - मेरा यह सेतु जिस्म

- जिस को जाना था वह चला गया