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"कबहूँ तौ घाम कड़ा है / बोली बानी / जगदीश पीयूष" के अवतरणों में अंतर

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सब झूमैं दै गरबाँही
 
सब झूमैं दै गरबाँही
  
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07:41, 24 मार्च 2019 के समय का अवतरण

कबहूँ तौ घाम कड़ा है
कबहूँ बीता भरि छाँही
हम तौ सुखान बिरवा हन
अब सुख की चिरई नाँही

अबकी असाढु जो सूखी
तौ हरहा भूखे मरिहैं
नेता कोरे कगदन पर
नहरी दुइ चारि बनइहैं
ददुआ अब बड़े-बड़ेन पर
है नाटेन कै परछाँही

जुगु बदलि गवा है कक्कू
सब अपनै रागु अलापैं
कामे काजे मा अब तौ
मेहरी मरदन सँग नाचैं
परिगै है भाँग कुँआ मा
सब झूमैं दै गरबाँही