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कमलानंद सिंह 'साहित्य सरोज' / परिचय

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राजा वेदानंद सिंह के भतीजे राजा श्रीनंद सिंह के सुपुत्र राजा कमलानंद सिंह (जन्म: 27 मई 1876 ई., निधन: चैत्र शुक्ल षष्ठी, 1967 वि./1910 ई.) यशस्वी शासक और साहित्यकार थे। उनके राज्याश्रित कवियों की संख्या बहुत बड़ी थी। विभिन्न साहित्यिक आयोजनों, पत्र-पत्रिकाओं और पुस्तकों के प्रकाशन में आर्थिक सहयोग के अलावा वे लेखकों को उनकी श्रेष्ठ पुस्तकों के लिए व्यक्तिगत रूप से पुरस्कार राशियाँ भी भेंट किया करते थे। स्वनामधन्य हिन्दी कवि और संपादक पं. महावीर प्रसाद द्विवेदी ने जून, 1903 ई. की सरस्वती पत्रिका में उनकी जीवनी लिखी थी। पं. श्रीकांत मिश्र द्वारा रचित 15 सर्गों में सुगठित संस्कृत काव्य 'साम्बकमलानन्द-कुलरत्न' में उनके पितृवंश और मातृवंश का वर्णन है। उनकी संपूर्ण उपलब्ध रचनाओं का संकलन 'सरोज रचनावली' के रूप में पुस्तक भंडार, पटना से प्रकाशित है, जिसका संपादन हिन्दी के यशस्वी संपादक आचार्य शिवपूजन सहाय ने किया था।
राजा कमलानंद सिंह का नाम द्विवेदीयुगीन साहित्यकारों में महत्त्वपूर्ण है। वे ब्रजभाषा मैथिली और खड़ी बोली में समान अधिकार से काव्य-रचना करते थे। खड़ी बोली गद्य रचना में भी वे सिद्धहस्त थे। इसके अलावा उन्होंने बाङ्ला और अंग्रेजी रचनाओं के सफल अनुवाद भी प्रस्तुत किए। उनकी काव्य-रचना से प्रभावित होकर तत्कालीन ‘कवि-समाज’ ने उन्हें ‘साहित्य सरोज’ की उपाधि प्रदान की थी। अनेक साहित्यिक पत्रिकाओं के संरक्षक होने के नाते ‘कवि मंडली’ ने उन्हें ‘द्वितीय भोज’ की उपाधि दी। भारत-धर्म-महामंडल (काशी) ने उन्हें ‘कवि-कुलचंद्र’ की उपाधि से अलंकृत किया था। वे हिन्दी की प्रतिष्ठित पत्रिकाओं 'रसिकमित्र' एवं 'सरस्वती' और मैथिली पत्रिका 'मिथिला मिहिर' के नियमित लेखक थे। उनकी मौलिक कृतियों में 'मिथिला-चंद्रास्त' (1899 ई.) 'श्रीएडवर्डबत्तीसी' (1902 ई.), 'वोट बत्तीसी' (1909 ई.) और 'हा! व्यास शोक-प्रकाश' (1910 ई.) शामिल हैं। बाङ्ला कथाकार बंकिमचंद्र चटर्जी और कवि माइकेल मधुसूदन दत्त की अनेक रचनाओं के हिन्दी अनुवाद भी उन्होंने प्रस्तुत किए, जिनमें 1903 ई. में अनूदित बंकिमचंद्र का प्रसिद्ध उपन्यास 'आनंदमठ' (1906 ई. डायमंड जुबली प्रेस, कानपुर से प्रकाशित) तथा माइकेल मधुसूदन दत्त कृत्त 'वीरांगना-काव्य' (1907 ई. में सरस्वती में काव्यांश प्रकाशित) प्रमुख हैं, जो इन कृतियों के प्रथम हिन्दी अनुवाद हैं।