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करके दगाबाजी पाजी अब तो अमीर बन के / महेन्द्र मिश्र

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करके दगाबाजी पाजी अब तो अमीर बन के,
मसक समान फूल बइठे निज द्वार पर।
याचक को देखते ही कुत्ता अस भूँक पड़े,
वेश्या दिख जाए तो दौरे निज आहार पर।
नाच ओ तमाशा में बइठे रहे आठो याम,
कथा ओ पुरान देखि बैठे हो डराँर पर।
द्विज महेन्द्र ऐसे पतितन से तो राम राखे,
पत्थर के मार पड़ी अइसन हतेयार पर।