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करक / जय गोस्वामी / रामशंकर द्विवेदी

एक ने कहा —
आकाश

दूसरा
प्रत्याशित रूप से
पाताल कहेगा ही

आँधी से उड़कर
 गिर पड़ा हूँ
तुम्हारी गोरी-गोरी गोद में

पता है
उस गोद में निहित है
पूरा जगत

मुझे आश्रय दो,
अपने पास रखो ।

आँधी से पीड़ित काक समझकर
लौटा मत देना आँधी को ।

मूल बाँगला भाषा से अनुवाद : रामशंकर द्विवेदी