करना तुम मत नाश कभी यह मेरा प्यारा मानस-रोग।
बड़ा मजा आता है इसमें, यद्यपि तनका सदा वियोग॥
हरा रहे यह घाव हृदयका, रहे टीसका नित संयोग।
मधुर तुम्हारी स्मृति से बढक़र सुखद न कोई-सा सम्भोग॥
करना तुम मत नाश कभी यह मेरा प्यारा मानस-रोग।
बड़ा मजा आता है इसमें, यद्यपि तनका सदा वियोग॥
हरा रहे यह घाव हृदयका, रहे टीसका नित संयोग।
मधुर तुम्हारी स्मृति से बढक़र सुखद न कोई-सा सम्भोग॥