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करना तो है ज़िद्द्त का सफ़र देखिए क्या हो / महेश कटारे सुगम
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करना तो है ज़िद्द्त का सफ़र देखिए क्या हो ।
अब हमने भी कस ली है कमर देखिए क्या हो ।।
हर रोज़ निगाहों में चमकता है आफ़ताब
इस ख़्वाब का उम्मीदे सफ़र देखिए क्या हो ।
मुझको ख़बर है वक़्त पै मेरे रफ़ीक भी
उगलेंगे रक़ीबों-सा ज़हर देखिए क्या हो ।
ये रात तीरगी से भरी काट दी मगर
अब आ गई है उजली सहर देखिए क्या हो ।
निकला है आज मौत का क़द नापने सुगम
है पास मुहब्बत का हुनर देखिए क्या हो ।