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करमचंद और पुतलीबाई के बेटे थे गाँधी जी / सतीश शुक्ला 'रक़ीब'

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करमचंद और पुतलीबाई के बेटे थे गाँधी जी
'बा' के पति परमेश्वर थे जो, राष्ट्रपिता हैं गाँधी जी

सन अट्ठारह सौ उनहत्तर , दो अक्टूबर को आए
कहाँ पोरबंदर भारत में? फिर गुजरात याद आए

सात समुन्दर पार गया था कौन वकालत पढ़ने को?
दक्षिण अफ्रीकी जनता के हित की रक्षा करने को?

तन ढकने को वस्त्र न थे, खाने को नहीं था दाना भी
देख गरीबी चम्पारण की, त्याग दिया था कुर्ता भी

भेद मिटाकर जात-पात का सबको गले लगाया था
सत्य अहिंसा के बल-बूते झंडा भी फहराया था

जल, थल, नभ पर राज है किसका?, कौन मिटाए सबकी पीर?
छोटे-बड़े सभी नोटों पर छपी हुई जिसकी तस्वीर

सेतु, भवन, क़स्बे और सड़कें नाम से हैं गाँधी के पर
राह बताई जो बापू ने, लोग चलें अब कम उस पर

गाँधी जी ने झूम के गाया, "रघुपति राघव राजाराम"
लाठी, चष्मा छोड़ के जग में चले गए कहकर "हे राम"

मिलकर आओ खाएं क़सम, और कभी क़सम नहीं तोड़ेंगे
गाँधी जी के आदर्शों को कभी नहीं हम छोड़ेंगे