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कराता भगवान है / 2 / चित्रभूषण श्रीवास्तव 'विदग्ध'

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आदमी माध्यम है सब कुछ कराता भगवान है
उस अलोकिक शक्ति से हर आदमी अनजान है

घटित हो जाती कई घटनाये सहज प्रसंग से
जिनके हो सकने का होता कोई नहीं अनुमान है

काम ऐसे भी कि जिनकी कोई नहीं संभावना
औं किसी का भी कभी जाता जहॉ नहि ध्यान है

कैसे हो जाते है वे सब काम बिना प्रयास ही
मन को लगता सब किसी ने कर दिया आसान है

यह समझ आता तभी जब काम हो जाता है सब
तब समझ आता कि सच में आदमी नादान है

डरता रहता आदमी कि कैसे होगा काम यह
पर कृपा से उसकी जुट जाता सहज सामान है

समझता यह बस वही जिसपर परिस्थिति बीतती
औरों को तो बना रहता हर तरफ अज्ञान है

करा देता कठिन अवसर पै भी जो सब बिन कहे
किंतु जो दिखता नहीं बस वही तो भगवान है