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करें क्या इधर जाँ के लाले पड़े हैं / राकेश तैनगुरिया

करें क्या इधर जाँ के लाले पड़े हैं
उधर भी जुबाँ पे तो ताले पड़े हैं

न जाने कहाँ है वो अब बरखा रानी
यहाँ सूखी नदियाँ नाले पड़े हैं

ये हिन्दोस्ताँ है मुहब्बत की धरती
यहाँ इश्क वाले निराले पड़े हैं

हमें याद है वो चेतक की गाथा
राणा के अब भी वो भाले पड़े हैं

'राकेश' हमने ये दुनिया में देखा
बड़े से बड़े दिल के काले पड़े हैं