बुन्देली लोकगीत ♦ रचनाकार: अज्ञात
करौं विनती सुनौ भैया समय पै भात लै अइयौ।
सास कों बीरन मोरे लाँगा लुगरों
ससुर कों पाग पिछौरा लै अइयौ।
करौं विनती ...
जिठनी कों बीरन मोरे चुनरी औ चोली
सो जेठा कों कुरता लै अइयौ।
करौं विनती ...
हम कों बीरन मोरे हार औ कंगना
सो बहनोई को धोती कुरता लै अइयौ।
जो मोरे बीरन तुमें इतनो नै पूजै
तौ रीते हाथ चले अइयौ।
करौं विनती ...