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कविता कोश के तेरह वर्ष

Kavita Kosh से
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05 जुलाई 2006 को आरम्भ हुई इस अभूतपूर्व सामाजिक परियोजना ने देखते-ही-देखते तेरह वर्ष पूरे कर लिए हैं। भारतीय साहित्य को इंटरनेट पर एक विश्वकोश के रूप में स्थापित करने वाली इस पहली परियोजना को यहाँ तक लाने का श्रेय उन सभी संकलित हज़ारों रचनाकारों, लाखों पाठको... और विशेषकर उन मुठ्ठीभर स्वयंसेवकों को जाता है जिन्होनें इस सपने को साकार करने में तन-मन-धन से अपना योगदान दिया।

आज कविता कविता कोश में 1,33,000 पन्नें संकलित हैं। पिछले एक वर्ष के दौरान हमनें 10,000 रचनाओं को कोश में संकलित किया है। टॉप के दस स्वयंसेवी योगदानकर्ताओं की सूची इस प्रकार है:

  • अनिल जनविजय (27152 पन्नें)
  • Sharda suman (24925 पन्नें)
  • Lalit Kumar (16977 पन्नें)
  • Dkspoet (9610 पन्नें)
  • आशिष पुरोहित (6839 पन्नें)
  • Pratishtha (6583 पन्नें)
  • Rahul Shivay (4795 पन्नें)
  • Sirjanbindu (4340 पन्नें)
  • Dr. ashok shukla (3768 पन्नें)
  • Neeraj Daiya (3047 पन्नें)

अनेक लोगों के सहयोग से प्रकाशित वर्ष 2019 का कैलेण्डर हिन्दी गद्यकारों को समर्पित रहा। इसका विशेष श्रेय Kumar Amit, शारदा सुमन और राहुल शिवाय को जाता है।

मुक्तांगन और कविता कोश मिलकर पिछले दो वर्ष से एक मासिक कार्यक्रम का आयोजन कर रहे हैं -- ये आयोजन कविता कोश कैलेण्डर के आधार पर प्रति माह किसी एक रचनाकार को समर्पित होते हैं। इस कार्यक्रम को आयोजित करने का श्रेय विशेष रूप से Aradhana Ashish Pradhan के अलावा Rakesh-Usha Vaid और शारदा सुमन को जाता है। आराधना जी पूरे समर्पण भाव से इस सुन्दर कार्यक्रम को हर माह दिल्ली के बिजवासन स्थित उषा फ़ार्म्स में आयोजित करती हैं।

पिछले माह कविता कोश ने 29-30 जून 2019 को बाबा नागार्जुन की स्मृति में पहले यात्री लोक उत्सव का आयोजन किया था। इस कार्यक्रम को सफल बनाने के लिए स्थानीय टीम के सदस्यों ने महीनों तक अथक कार्य किया। पूरी टीम को उनके अथक प्रयास के लिए हार्दिक बधाई।

राहुल शिवाय ने पूरे वर्ष के दौरान अनेक कार्यक्रम आयोजित किए... राहुल के समर्पण और मेहनत के बारे में मैं अक्सर लोगों को बताता रहता हूँ। कविता कोश के लिए मेहनत और लगन से काम करना राहुल में इस कदर समाया हुआ है कि उसे शब्दों में व्यक्त करना मेरे लिए आसान नहीं है।

Sudhir Gandotra जी की सहायता से कविता कोश का सर्वर चलता रहा... पाठकों के लिए कविता कोश की उपलब्धता का सारा श्रेय सुधीर जी और उनकी टीम को जाता है।

राहुल शिवाय के सम्पादन में कविता कोश ने गुनगुनाएँ गीत फिर से के दूसरे भाग का प्रकाशन किया।

विश्व पुस्तक मेला 2019 में कविता कोश ने एक स्टॉल भी लगाया।

कविता कोश के लिए लगातार की जा रहे कार्यों के लिए शारदा सुमन को कोश में संयुक्त निदेशक का पद दिया गया। इसी तरह राहुल शिवाय के कार्य को सम्मानित करने के लिए उन्हें उप-निदेशक का पद दिया गया।

कविता कोश नामक सबका साझा यह सुन्दर सपना यूँ ही आगे बढ़ता रहे... हमें बताता रहे कि बड़े काम बिना किसी पारीश्रमिक / पारितोषिक के भी किए जा सकते हैं... हमें सिखाता रहे कि समाज के लिए स्वयंसेवा करना बेहतर समाज की कुंजी है।

-- ललित कुमार
निदेशक, कविता कोश