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कविता मरतै नै / छेदी साह

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मुर्दा केॅ दहौ/या नैं दहौ कफन
मतर जीवन मांगतै
मांगथैं रहथौं तृप्तिबोध ।
गतिरोध भाषा केरोॅ
निराशा केरोॅ शब्द नै गढ़ोॅ ।
कविता केॅ भाषा सेॅ नै/भावोॅ सें सीचोॅ ।
तृष्णा केरोॅ ही अंकुरण मेॅ/तृप्ति केरोॅ पुष्प होतै,
प्रतीक्षा तय करोॅ ।
कविता सें रोटी नै बनावोॅ/अनर्थ होय जैतै ।
कबीर कविता छिकै/सूर आरू तुलसी कविता छिकै,
शिव कविता छिकै/परिभाषा छिकै ।
तलाश छिकै/विश्वास छिकै,
परिहास नै करोॅ
कविता मरतै तेॅ नै
अगर उपेक्षित होय छै
तेॅ क्लिष्ट होय जैतै
तोरा लेली नै
कोय अज्ञात के लेली ही सही ।
गैतै, जरूर गैतै,
कविता मीरा छिकै
विषपान करतै लेकिन मरतै नै ।