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कविता मेरे लिए / अशोक कुमार

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कविता बस दृष्टि है मेरे लिए
जहाँ से देखता हूँ मैं

बस एक शीशे के पार ही तो होता है
दुनिया का सारा ऐश्वर्य

जहाँ ठहर जाता हूँ मैं!