Last modified on 24 जुलाई 2018, at 22:31

कविता री ऊरमा / राजेन्द्र जोशी

आशिष पुरोहित (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 22:31, 24 जुलाई 2018 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=राजेन्द्र जोशी |अनुवादक= |संग्रह=...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

इतरो आतंक क्यूं है
अेक-दूसरै देस बिचाळै
पड़ोसी सूं बैर
अर दूर देसां सूं हेत।

कवि नै भेजो
कसमीर रै लाल चौक
कविता आतंकी नीं है
नीं है कवि सूं बैर-भाव।

सीमा माथै
कविता अर शायरी
सूर अर गालिब रा अंदाज।

नीं करै अणदेखी
दिल्ली अर करांची
कवि अर शायर री
हुय जावैला आतंकी अर
आतंकवाद री जड़ां सूनी
कविता-शायरी सुणनै।
नीं रैवै आतंक अर आतंकी
नीं बंदूक अर बारूद
कवि रै सबदां सूं
कविता री लय सागै
हुवैला हेत
सीमा माथै।