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कविता / अल-सादिक अल-रादी / विपिन चौधरी

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मैंने फरिश्ते को देखा और
गा रहे पक्षियों को
मारे जाते हुए ।

मैंने घोड़े को देखा,
सैनिकों, दुःखी स्त्रियों को
शोक मनाते हुए,

जड़हीन हो चुके पेड़ों को,
और चीख़ और रुदन से तपी
महिलाओं को,

सड़कों को, प्रचण्ड आँधी,
दौड़-प्रतियोगिताओं की कारों,
नौकाओं को देखा क़रीब से,
देखा निर्दोष बच्चों को ।

मैंने कहा : ‘‘जल के स्वामी,
चीज़ें इस रूप मे हैं ।’’

मिट्टी के बारे में मुझे बताओ,
आग, धुआँ, परछाइयों,
गन्ध की सच्चाई के बारे में बताओ,

जानबूझकर ही,
अपने घरों के बारे में
मैंने उनसे कुछ नहीं पूछा ।

अँग्रेज़ी से अनुवाद : विपिन चौधरी