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कविता / कृष्णा वर्मा

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कविता वह हथियारबहे ना ख़ून जीत ले जंगकविता वह उपहारमिटा दे दिल से दिल के द्वंद्वकविता वह विश्वासजला दे अंधकार में दीपकविता वह प्रयासबिना सागर हो मोती सीपकविता वह आधारदरकने दे ना दिल का प्यारकविता वह पतवारडोलती नैया लग जाए पारकविता वह उद्घोषउड़ाए बड़े बड़ों के होशकविता आशुतोषभटकते दिल पाएं संतोषकविता पहरेदारचौकसी करती जो लगातारकविता कहे उतारजो तेरे जीवन का व्यवहारकविता वह मशालदिखाए पल में राह सुजानकविता ऐसा बानाकरे स्याह को झट सूफियानाकहो न इसको फिक़राबंदी कविता शब्दों का सम्मेलन।
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