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कविता / पारस अरोड़ा

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यह एसिया और अफ्रीका
अंगुली रखता हूं
और भर जाती है खून में
ऐसे समय मालूम चलता है
कि बुरे वक्त में
अच्छा पड़ौसी कितना काम आता है
मिल कर छूट जाए तो
बहुत याद आता है ।

अनुवाद : नीरज दइया