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कवि-परिचय / राजकमल चौधरी

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हमरा दुख अछि-
हम कविता लिखइ छी, सदत अपना हेतु
मात्र अपनेटा हेतु
हम कविता लिखै छी!
अहाँक लेल लिखबाक
मिलन-कथा कोनो गरेँ सिखबाक
अवसर नहि भेल, जे अहाँसँ अपना धरि
दिनुका बेगरता सभसँ
रातुक मरम-भेद आध-निन्न सपना धरि
बना लेब एकटा सातरँग सेतु
अपना हेतु
मात्र अपनेटा हेतु
तकर कोनो लाथेँ, केशोभरि
अवसर नहि भेल
हमरा दुख अछि
कविता हमर काँचे रहि गेल
एहि जारनिसँ उड़ल कहाँ धधरा
व्यथा कहब ककरा
कथा कहब ककरा?

प्रस्तुत कविता हिन्दी-पत्रिका ‘दर्पण’क राजकमल विशेषांक (सितम्बर, 1967) सट लेल गेल अछि। एहिमे राजकमल चौधरीक उक्त मैथिली-कविता तथा ‘तहखाना’ एवं ‘ऋतुचित्र’ नामक हिन्दी-कविता एहि सूचनाक संग प्रकाशित कयल गेल जे ई तीनू अप्रकाशित कविता राजकमलक अध्ययन-कक्ष में पड़ल-छिड़िआयल कागजक ढेरसँ उपलब्ध भेल अछि। ‘कृतिराजकमलक’ मे राजकमल चौधरीक रचनाक जे सूची देल गेल अछि ताहिमे उक्त तीनू कविताक नाम छूटल अछि। --मोहन भारद्वाज