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कवि और पुरस्कार / कुमार मंगलम

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हे कवि
तुम्हारी यह कविता
बहुत अच्छी नहीं है
इसे तुम डाल दो कचरे की पेटी में

कवि
तुमने कैसे स्वीकार कर लिया
कोई पुरस्कार,
कई बेहतर कविताओं के बीच
अपनी इस वाहियात कविता पर,
इस वर्ष की सर्वश्रेष्ठ कविता तो मैंने लिखी है

इसी वर्ष तो तुम पर
लगे हैं कई आरोप
एक आलोचक ने एक कवि के बारे में लिखते हुए कहा
एक आलोचक के कहने पर कवि ने लिखी
है कविता में गाली
उनकी दाँव-पेंच वाली राजनीति
और रस-रँजन तुम्हारी विनम्रता पर भारी है

जब भी कोई पुरस्कृत होता है
होने लगती है कई कई व्याख्याएँ
शब्दों में अनर्थ भरे जाते हैं
तुम्हारी सफलता पर
प्रश्नचिन्ह लगाए जाते हैं
जानते हो कवि
तुम्हारी सफलता पर उनकी
अनाशक्त तिलमिलाहट
कविता को मिले पुरस्कारों से ज़्यादा भारी है