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कवि के कोमल भाव हेनोॅ सुकुमार लागै / अनिल शंकर झा

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कवि के कोमल भाव हेनोॅ सुकुमार लागै
आशा हेनोॅ रंग मोॅन जोत सें मिलाबै लेॅ।
विधि के कलाकृति के अजगुत बात एक
मधुर मदिर गात जात केॅ भुलावै लेॅ।
वाणी के सहज बन्ध काव्य के मधुर छन्द
सहज सुयोग वेद मन्त्र केॅ दिलावै लेॅ।
केश के विशेष वेश ब्रह्म आ जगत भेद
ज्ञानी-मानी तापसी केॅ रास्ता भुलावै लेॅ॥