भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

कवि के कोमल भाव हेनोॅ सुकुमार लागै / अनिल शंकर झा

Kavita Kosh से
Lalit Kumar (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 22:12, 24 मई 2016 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=अनिल शंकर झा |अनुवादक= |संग्रह=अहि...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

कवि के कोमल भाव हेनोॅ सुकुमार लागै
आशा हेनोॅ रंग मोॅन जोत सें मिलाबै लेॅ।
विधि के कलाकृति के अजगुत बात एक
मधुर मदिर गात जात केॅ भुलावै लेॅ।
वाणी के सहज बन्ध काव्य के मधुर छन्द
सहज सुयोग वेद मन्त्र केॅ दिलावै लेॅ।
केश के विशेष वेश ब्रह्म आ जगत भेद
ज्ञानी-मानी तापसी केॅ रास्ता भुलावै लेॅ॥