भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

कवि के साथ-2 / नवनीत पाण्डे

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

कई बार बैठा
कवि के साथ
उसकी कविता में
गोष्ठियों, समारोहों में
कभी-कभी घर में भी
और शाम को
वहां भी
जहां अधितर कवि
खुद का आइना दिखाते हैं
पूरी तरह खुलकर
गर्व से बताते हैं
कवि होने के अलावा भी
वे क्या-क्या हैं
और कैसे हैं
जानने की कोशिश की
कवि को
उसकी कविता को
आश्चर्य!
कविता कहीं मेल नहीं खाती
अपने कवि से
कवि!
बिल्कुल ही अलग सा होता है
अपनी कविताई की छवि से