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"कवि के हित तू अप्सरा / अनुराधा पाण्डेय" के अवतरणों में अंतर
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कवि के हित तू अप्सरा, कविता का भंडार।
चित्रकार तुझसे गढ़े, तन्वंगी आकार॥
तन्वंगी आकार, प्रेरणा जग जीवन की।
चंचल-सी उद्दाम, कोकिला तू यौवन की॥
दुष्कर पथ पाथेय, नार की बनती मृदु छवि।
रमणी का श्रृंगार, रचे क्या भावशून्य कवि॥