भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"कवि से विदाई / अनातोली परपरा" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
छो (कवि से विदाई / अनातोली पारपरा का नाम बदलकर कवि से विदाई / अनातोली परपरा कर दिया गया है)
 
पंक्ति 4: पंक्ति 4:
 
|संग्रह=माँ की मीठी आवाज़ / अनातोली परपरा
 
|संग्रह=माँ की मीठी आवाज़ / अनातोली परपरा
 
}}
 
}}
 +
{{KKCatKavita‎}}
 
[[Category:रूसी भाषा]]
 
[[Category:रूसी भाषा]]
 
+
<poem>
 
+
 
विदा, तुम्हें विदा
 
विदा, तुम्हें विदा
 
 
दोस्त सोमदत्त, विदा
 
दोस्त सोमदत्त, विदा
 
 
हिमाद्री तुंग शृंग के पार से विदा
 
हिमाद्री तुंग शृंग के पार से विदा
 
  
 
याद है मुझे तुम्हारी वह कविता
 
याद है मुझे तुम्हारी वह कविता
 
 
जिसमें तुमने शान्ति का संदेश था दिया
 
जिसमें तुमने शान्ति का संदेश था दिया
 
 
क्रागुएवात्स में नन्हें बच्चों की हत्या पर
 
क्रागुएवात्स में नन्हें बच्चों की हत्या पर
 
 
तुमने शोकम्लान हो रुदन था किया
 
तुमने शोकम्लान हो रुदन था किया
 
  
 
याद हमें रहोगे तुम सदा-सर्वदा
 
याद हमें रहोगे तुम सदा-सर्वदा
 
 
विदा तुम्हें विदा, सोमदत्त तुम्हें विदा
 
विदा तुम्हें विदा, सोमदत्त तुम्हें विदा
 
  
 
दुनिया भर की जनता को परस्पर जोड़कर
 
दुनिया भर की जनता को परस्पर जोड़कर
 
 
कहाँ गए अचानक तुम हमें यूँ छोड़कर
 
कहाँ गए अचानक तुम हमें यूँ छोड़कर
 
 
कविता में जलेगा तुम्हारे नाम का दिया
 
कविता में जलेगा तुम्हारे नाम का दिया
 
 
इस रूसी कवि का आज उदास है हिया
 
इस रूसी कवि का आज उदास है हिया
 
  
 
बह रही आँखों से मेरी आज नर्मदा
 
बह रही आँखों से मेरी आज नर्मदा
 
 
विदा, तुम्हें विदा, कवि सोमदत्त विदा
 
विदा, तुम्हें विदा, कवि सोमदत्त विदा
  
  
रचनाकाल : 1989
+
'''रचनाकाल : 1989'''
 +
</poem>

21:50, 7 मई 2010 के समय का अवतरण

मुखपृष्ठ  » रचनाकारों की सूची  » रचनाकार: अनातोली परपरा  » संग्रह: माँ की मीठी आवाज़
»  कवि से विदाई

विदा, तुम्हें विदा
दोस्त सोमदत्त, विदा
हिमाद्री तुंग शृंग के पार से विदा

याद है मुझे तुम्हारी वह कविता
जिसमें तुमने शान्ति का संदेश था दिया
क्रागुएवात्स में नन्हें बच्चों की हत्या पर
तुमने शोकम्लान हो रुदन था किया

याद हमें रहोगे तुम सदा-सर्वदा
विदा तुम्हें विदा, सोमदत्त तुम्हें विदा

दुनिया भर की जनता को परस्पर जोड़कर
कहाँ गए अचानक तुम हमें यूँ छोड़कर
कविता में जलेगा तुम्हारे नाम का दिया
इस रूसी कवि का आज उदास है हिया

बह रही आँखों से मेरी आज नर्मदा
विदा, तुम्हें विदा, कवि सोमदत्त विदा


रचनाकाल : 1989