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कश्मीर की पुकार / सोना श्री

पापियों का सह भार,नित सह अत्याचार,
स्वर्ग सी वो भूमि आज, दुख को उठाती है l
मिलता आघात घोर, दुखतें हैं पोर पोर,
टीसतें हैं घाव नित, सह नहीं पाती है l
तिमिर कुटिल बड़ा, दारुण दुखों से भरा,
आज चीतकार कर, भारती बुलाती है l
आओ मेरे लाल आओ, आके मुझको बचाओ,
बोल-बोल आज हमें, नींद से जगाती है l