कहता है अपने आप को जौ पैकरे-वफा
लम्हों के आईने में कभी खुद को देखता
क्या बात है कि शहर में तेरे हरेक शख्स
फिरता है अपने आप ही से भागता हुआ
खामोश तुम भी और मिरे होंट भी थे बन्द
फिर इतनी देर कौन था जो बोलता रहा
खामोशियो के कोह को काटूंगा किस तरह
इस बारे मेरे पास नही तेश-ए-सदा