भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"कहाँ जायेगी यह झंकार / गुलाब खंडेलवाल" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
(नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=गुलाब खंडेलवाल |संग्रह=तुझे पाया अपने को खोकर / …)
 
 
पंक्ति 16: पंक्ति 16:
 
 
 
 
 
सभी ज्ञान, विज्ञान, बुद्धिबल
 
सभी ज्ञान, विज्ञान, बुद्धिबल
तन की साथ न जायेंगे जल!
+
तन के साथ न जायेंगे जल!
 
यदि चित् महाचेतना से कल
 
यदि चित् महाचेतना से कल
 
हो ले एकाकार!
 
हो ले एकाकार!

01:49, 20 जुलाई 2011 के समय का अवतरण


कहाँ जायेगी यह झंकार
जब नीरव हो जायेंगे जीवन-वीणा के तार
 
जब यह दीपक बुझ जायेगा
कहाँ प्रकाश शरण पायेगा!
किस अनंत में मँडरायेगा
चेतन खो आधार!
 
सभी ज्ञान, विज्ञान, बुद्धिबल
तन के साथ न जायेंगे जल!
यदि चित् महाचेतना से कल
हो ले एकाकार!
 
जड़ता से जब चलूँ विदा ले
चेतन भी यदि साथ छुड़ा ले
निज को किसके करूँ हवाले
खोल शून्य का द्वार!

कहाँ जायेगी यह झंकार
जब नीरव हो जायेंगे जीवन-वीणा के तार