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कहाँ हूँ माँ / अनीता मिश्रा

अम्मा तेरी आंचल मे,
या बाबा के गोद मे,
आयी तो तेरी ही मर्जी से माँ
तूने जन्म दिया, अपने ही प्रतिरुप को,
पर ये दुख कैसा सभी के चेहरेपे,
किसी ने खुशी ना मनायी?
बेटी जन्मी इसलिये
सब सोच में है बिना दहेज,
इसकी शादी कैसे होगी।
अभी तो दुनिया भी नहीं देखा,
पर ये अवसाद अभी से,
तु तो जननी है, तेरा आंचल तो मेरा है।
भाई का हिस्सा
हमे मत देना,
कुछ भी खा लूँगी।
देख माँ मैं भी पढूगीं, डाo बनुगीं,
मै दूसरो को पढ़ा कर, पढ़ लूँगी
तु मुझे अपना तो मां,
तेरे साये में पलना चाहतीं हूँ
तेरे आंचल मे, या बाबा के गोद में खेलना चाहती हूँ।
मां तु जो बीमार रह्ती है,
दिन भर पिसती है घर में काम केबोझ से,
तेरी देख-भाल कर, दवा करुन्गीं मां!
मै सबको मना लुन्गी, तुम मेरा साथ तो दो माँ।