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कहानियों की दुनिया में लड़की / सुमन केशरी

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कहानियों की दुनिया कितनी अच्छी होती है माँ
 इन कहानियों में
 राजा हैं, रानियाँ हैं
 राक्षस हैं, शैतान हैं
 चतुर और खुराफ़ाती मंत्री हैं
 देवता हैं, असुर हैं
 अन्धी बुढि़या और कोख बंधानेवाली बहू है
 और तो और माँ
 इन कहानियों में बोलने-सुननेवाले ज्ञानी पशु-पक्षी भी हैं
 कैसी अच्छी दुनिया होती है माँ
 इन कथा-कहानियों की दुनिया

कहानियों में कई-कई बरस
 पलभर में बीत जाते हैं
 दुःख होता है जो सालता नहीं
 तीरें-तलवारें चलती हैं
 पर चोटों में दर्द नहीं होता
 तुम कहती-कहती सो जातीं
 हम सुनते-सुनते सो जाते
 कभी नींद खलल नहीं पड़ती है
 कैसी अच्छी ये कहानी है
 कैसी अच्छी ये दुनिया है

 दुःख आते हैं राजा के घर
 रानी भगा दी जाती है
 कुंवर-कुंवरी का लालन-पालन
 जंगल के हवाले होता है
 जंगल में पलने-बढ़नेवाले
 सिंहों की सवारी करते हैं
 अश्वमेघ की सेना से
 हठबल के सहारे भिड़ते हैं
 रानी के तब भाग हैं जगते
 महलों में बुलाई जाती है
 राजा-रानी के जय जय की
 हुंकार लगाई जाती है ।
 अन्धी बुढि़या को गणपति की
 अनुकम्पा हासिल होती है
 नाती-पोतों, धन-दौलत से
 उसकी दुनिया भी बदलती है ।

 अम्मा
 दुष्टों का दलन हुआ करता
 अच्छों के भाग ही खुलते हैं
 कहानी में दिन जल्दी फिरते
 रोनेवाले सब हँसते हैं
 पर माँ
 ऐसा क्यों होता है कि
 कहानी में भी औरत रोती है
 वन को जाती और कोख बंधाती
 दिन बीतने को वो तरसती है
 यह बात मुझे कुछ खलती है
 तुम कुछ तो कहो अम्मा मेरी
 कोई ऐसी कथा सुनाओ आज
 जिसमें हो जीत तेरी-मेरी

पर देखो तुम तो लगीं रोने
 अब ऐसा क्या कहा मैंने
 कोई नई कथा सुनाओ तुम
 बस इतनी मांग रखी मैंने

अब बैठो तुम बिटिया बनके
 और कथा कहूँ मैं कुछ तन के
 अम्मा दिन फिरते हैं सबके
 यह बात तुम्हीं तो कहती हो