कहीं जाने का मन होता है
तो पक्षी की तरह
कि संध्या तक लौट आएँ।
एक पक्षी की तरह जाने की दूरी!
सांध्य दिनों में कहीं नहीं जाता
परन्तु प्राण-पखेरू?
कहीं जाने का मन होता है
तो पक्षी की तरह
कि संध्या तक लौट आएँ।
एक पक्षी की तरह जाने की दूरी!
सांध्य दिनों में कहीं नहीं जाता
परन्तु प्राण-पखेरू?