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कहीं से काश तुम आवाज़ देते / मदन मोहन दानिश

कहीं से काश तुम आवाज़ देते ।
ग़मों को हम कोई तो साज़ देते ।

तमन्ना ये भी दिल में है, तुम्हे हम,
तुम्हारे नाम से आवाज़ देते ।

बिखरना तय है फिर भी मुस्कराना,
गुलों को और क्या अंदाज़ देते ।

बहुत तौहीन होती आँसुओं की,
सदाओं को अगर अल्फाज़ देते ।