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कहें नयन जो बोल नयन सब पढ़ लेंगे / साँझ सुरमयी / रंजना वर्मा

कहें नयन जो बोल नयन सब पढ़ लेंगे॥

बन्द रही पुस्तक जीवन की
खूब छिपायीं बातें मन की।
पर जब मिले नयन से नैना
प्रीत बसी मन मे साजन की।

हृदय पंजिका खोल रतन कुछ जड़ लेंगे॥

नैनों से जब उलझे नैना
मूक हुआ मुख खोये बैना।
सिहरा तन कम्पन यों जागा
नींद छिनी खोये सुख चैना।

यह क्षण है अनमोल सन्देसा गढ़ लेंगे॥

अविरल चले श्वांस के पथ पर
चढ़ीं इन्द्रियाँ माया - रथ पर।
दोनों हाथ सँभालें वल्गा
पाँव पड़े ना कभी कुपथ पर।

मत मारग से डोल अगम गिरि चढ़ लेंगें॥