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{{KKRachna
|रचनाकार=अनिरुद्ध उमट
|संग्रह=}} {{KKCatKavita}}<poem>अभी आएँगे वेज़रा पान की दूकान पर गए हैं राह देखती खाली कुर्सी कितनी चीज़ें हैंइस घर मेंआत्माएँ उनकी रोती उस क्षण कोKKPustak|चित्र= |नाम=कह गया जो आता हूँ अभी...|रचनाकार=[[अनिरुद्ध उमट]]प्यास|प्रकाशक=वाणी प्रकाशन, नई दिल्लीआँगन में एक कुआँ|वर्ष= जिसका जल|भाषा=हिन्दीहर प्यास में ऊपर उठ आता|विषय=कविताएँ एक दिनघर का दरवाज़ा खुला देखबाहर को गया तो बरसों लौटा नहीं एक|शैली=-एक कर सभीउतरे कुएँ मेंबनाने भीतर ही दरवाज़ाकिसी की भी आवाज़नहीं सुनाई दी फिर कभी एक दिन भूला-भटका जललौट आया|पृष्ठ=और कुएँ में लगा झाँकने|ISBN=पीछे से दीवारों ने उसकी गर्दनधर|विविध=--दबोची}}सभी घरो के दरवाज़े बंद थे... <*[[कह गया जो आता हूँ अभी /poem>अनिरुद्ध उमट]]
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