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"काँपती किरनें / रामेश्वर काम्बोज ‘हिमांशु’" के अवतरणों में अंतर

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जब साँझ डूबी
 
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उतरा किनारे।
 
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पलकें झुकीं कि
 
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23:32, 2 अप्रैल 2019 का अवतरण

काँपती किरनें

पड़ीं जब ताल के जल में।

लहरों का

तन कोरा

पावन हुआ पल में।

बूढ़ा वट

यह देखकर

अनमाना-सा हो गया

जब साँझ डूबी

चाँद था

उतरा किनारे।

टाल भरकर

थाल में

लाया सितारे।

चाँद की

पलकें झुकीं कि

एक सपना खो गया।

डालियों पर

रात उतरी

खामोश अम्बर।

शीतल हवा ने

जब छाप छोड़ी

भाल पर।

पल में

संताप तन का

और मन का सो गया।