Last modified on 9 अगस्त 2012, at 16:40

काँपती है / अज्ञेय

Dkspoet (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 16:40, 9 अगस्त 2012 का अवतरण

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

पहाड़ नहीं काँपता,
न पेड़, न तराई;
काँपती है ढाल पर के घर से
नीचे झील पर झरी
दिये की लौ की
नन्ही परछाईं।

बर्कले (कैलिफ़ोर्निया), नवम्बर, 1969