भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

काजल / उषा उपाध्याय

Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 14:20, 7 मई 2011 का अवतरण (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=उषा उपाध्याय |संग्रह= }} Category: गुजराती भाषा {{KKCatKavita}}…)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

मैं जन्मी तब
छठी के दिन
नानी ने तांबे की तश्तरी दीये पर रखकर
बडी उमंग से
काजल बना कर
मेरी आँखों में लगाया था ।

अभी पिछले साल ही
मेरी बेटी के घर बेटी जन्मी
तब मैंने भी
छठी के दिन
उमंग के साथ काजल बनाकर
अपनी दौहित्री की
स्वप्नभरी आँखों में लगाया था ।

आज,
इस ढलती साँझ में
आगजनी में जलकर
काले स्याह हो गए
अपने शहर के मकानों को देखकर
मन में आता है

किसकी छठी के लिए
बनाया गया है
इतना सारा काजल ?

मूल गुजराती से अनुवाद : स्वयं कवयित्री द्वारा