http://kavitakosh.org/kk/index.php?title=%E0%A4%95%E0%A4%BE%E0%A4%9F%E0%A4%B9%E0%A5%8B_%E0%A4%86%E0%A4%B9%E0%A5%8B_%E0%A4%AC%E0%A4%BE%E0%A4%AC%E0%A4%BE_%E0%A4%AC%E0%A4%A8_%E0%A4%95%E0%A5%87_%E0%A4%96%E0%A4%B0%E0%A4%B9%E0%A4%BF%E0%A4%AF%E0%A4%BE_/_%E0%A4%85%E0%A4%82%E0%A4%97%E0%A4%BF%E0%A4%95%E0%A4%BE_%E0%A4%B2%E0%A5%8B%E0%A4%95%E0%A4%97%E0%A5%80%E0%A4%A4&feed=atom&action=historyकाटहो आहो बाबा बन के खरहिया / अंगिका लोकगीत - अवतरण इतिहास2024-03-29T01:15:05Zविकि पर उपलब्ध इस पृष्ठ का अवतरण इतिहासMediaWiki 1.24.1http://kavitakosh.org/kk/index.php?title=%E0%A4%95%E0%A4%BE%E0%A4%9F%E0%A4%B9%E0%A5%8B_%E0%A4%86%E0%A4%B9%E0%A5%8B_%E0%A4%AC%E0%A4%BE%E0%A4%AC%E0%A4%BE_%E0%A4%AC%E0%A4%A8_%E0%A4%95%E0%A5%87_%E0%A4%96%E0%A4%B0%E0%A4%B9%E0%A4%BF%E0%A4%AF%E0%A4%BE_/_%E0%A4%85%E0%A4%82%E0%A4%97%E0%A4%BF%E0%A4%95%E0%A4%BE_%E0%A4%B2%E0%A5%8B%E0%A4%95%E0%A4%97%E0%A5%80%E0%A4%A4&diff=225499&oldid=prevLalit Kumar: '{{KKGlobal}} {{KKLokRachna |रचनाकार=अज्ञात }} {{KKCatAngikaRachna}} <poem> प्रस्तुत गी...' के साथ नया पृष्ठ बनाया2017-04-27T10:11:42Z<p>'{{KKGlobal}} {{KKLokRachna |रचनाकार=अज्ञात }} {{KKCatAngikaRachna}} <poem> प्रस्तुत गी...' के साथ नया पृष्ठ बनाया</p>
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प्रस्तुत गीत में सुंदर मंडप बनवाने और बरातियों के स्वागत-सत्कार करने का उल्लेख हुआ है। बेटी ससुराल विदा होने लगी। उसकी सखी-सहेलियाँ, खेलने के सामान आदि यहीं छूट गये। इतना ही नहीं, जिस माँ की कोख में वह पैदा हुई, वह माँ भी यहीं छूट गई। बेटी माँ के घर पैदा होती है, लेकिन उसका विकास अपनी माँ के घर से दूर अन्यत्र होता है।<br />
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काटहो<ref>काटिए</ref> आहो बाबा बन के खरहिया<ref>खढ़</ref>, काटहो हरिहर<ref>हरा</ref> बाँस हे।<br />
सीता के मरैया<ref>मंडप; मड़ई</ref> उपर छारिहो<ref>छाना</ref>, रचि के बनैहो राजा<ref>राजहंस</ref> हंस हे॥1॥<br />
ओहि<ref>उसी</ref> माड़ब चढ़ि हेरिहो<ref>देखिए</ref> हो बाबा, कते<ref>कितना</ref> दल आबै<ref>आरहाहै</ref> बरियात हे।<br />
दसे आबै हथिया, पचीसे आबे घोड़बा, नबे लाख आबै बरियात हे॥2॥<br />
कहाँ में राखब बाबा हाथियो महाबत, कहाँ में राखब बरियात हे।<br />
कहाँ में राखब एहो सुन्नर बर, जिनकर साजल बरियात हे॥3॥<br />
कूरखेत<ref>जोता-कोड़ा खेत</ref> राखब हाथी महाबत, दुअरे राखब बरियात हे।<br />
मड़बाहिं राखब येहो सुन्नर बर, जिनकर साजल बरियात हे॥4॥<br />
भैया बहिनियाँ बाबा एके कोख जनमल, हमरा के काहे दूर देस हे।<br />
भैया काहे बाबा रउरे चौंकी बैठल, हमरा के काहे दूर देस हे॥5॥<br />
जब गे सीता बेटी डारी<ref>डोली</ref> चढ़ि बैठल, बाट के धूरा<ref>धूल</ref> उड़ियाएल हे।<br />
कहँमहिं छूटल बेटी सुपती मउनियाँ, कहँमाहिं सखि सब लोक हे।<br />
कहँमाहिं छूटल बेटी माइ कुलबंती, जिनकर कोखी अबतार हे॥6॥<br />
कोठी कान्हा छूटल बाबा सुपती मउनियाँ, कोहबर सखि सब लोक हे।<br />
मड़बा लागि छूटल बाबा माइ कुलबंती, जिनकर कोखी भेल अबतार हे॥7॥<br />
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{{KKMeaning}}</div>Lalit Kumar