कान्हा आज बहुत याद आए।
द्वापर में छोडा मथुरा गये
फिर आज रहे कर्तव्य निभाए
कान्हा आज बहुत याद आए।
तुम झलके नवनीत के भीतर
तुम ही दमके मिश्री के अन्दर
छाछ में भी गये मुस्काए
कान्हा आज बहुत याद आए।
युग बदला हम अब भी न बदले
है सच कि ममत्व कभी न बदले
समय भले कितना आजमाए
कान्हा आज बहुत याद आए।
कुछ भी तो नही मेरा क्या है
तुम पर हक तो देवकी का है
हर कोई मुझे ये समझाये
कान्हा आज बहुत याद आए।