भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

काम री चीज / चंद्रप्रकाश देवल

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

इळकंप मापण वाळी
म्हारी आतमा
धूजै है बिरौबर

उडीक नीं रही
तौ झाळमुखी डूंगर फूटैला
फटौफट-फटौफट रौ।

इण जमीं नै फूठरी राखण नै
दुनिया नै हरीभरी राखण नै
प्रीत री उमर बधती राखण नै
पीढ़ियां री कड़ी सधती राखण नै
चाहीजै उडीक

इणनै रैवण दो
इणनै राखौ
ढाबौ आपरै अंतस
धीजा सूं
उडीक अेक अदीठ नेहचा रौ दूजौ नांव है।