भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

कार / बालस्वरूप राही

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

पापाजी की कार बड़ी है,
नन्ही-मुन्नी मेरी कार।
टाय-टाय फीस उनकी गाड़ी,
मेरी कार धमाकेदार।

उनकी कार धुआं फैलाती,
एक रोज होगा चलन,
मेरी कार साफ-सुथरी है,
सब करते इसका गुणगान।