मिला है जब
कालीबंगा के थेहड़ में
राजा का बास
तो जरूर रहे होंगे
अतीत के आखर
कैसे मिट गए लेकिन
किसी ने ज़रूर
भगाई होगी भूख
कुछ दिन
तभी तो मिलता है
अस्थिपंजरों में
इतिहास कालीबंगा का।
राजस्थानी से अनुवाद : मदन गोपाल लढ़ा
मिला है जब
कालीबंगा के थेहड़ में
राजा का बास
तो जरूर रहे होंगे
अतीत के आखर
कैसे मिट गए लेकिन
किसी ने ज़रूर
भगाई होगी भूख
कुछ दिन
तभी तो मिलता है
अस्थिपंजरों में
इतिहास कालीबंगा का।
राजस्थानी से अनुवाद : मदन गोपाल लढ़ा