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00:01, 12 जून 2010 के समय का अवतरण

यह
ऊँचा ढेर
मिट्टी का
केवल मिट्टी नहीं
दीवार है साळ की

दीवार में छेद
बेवज़ह नहीं है

इसमें थी खूँटी
काठ की

जिस पर
खेत से लौटकर
टांगा था कुरता
घर के बुजुर्ग ने

और
आराम के लिए
बंद की थी आँख
जो फ़िर नहीं खुली.


राजस्थानी से अनुवाद : मदन गोपाल लढ़ा