बहुत नीचे जाकर
निकला है कुआँ
रास के निसान
मुँह की
समूची गोलाई में
बने हैं चिन्ह
मगर नहीं बताते
किस दिशा से
कौनसी जाति
भरती थी पानी।
कालीबंगा का मौन
बताता है
एक जात
आदमजात
जो
साथ जगी
साथ सोई
निभाया साथ
ढेर होने तलक।
राजस्थानी से अनुवाद : मदन गोपाल लढ़ा