http://kavitakosh.org/kk/index.php?title=%E0%A4%95%E0%A4%BE%E0%A4%B2%E0%A5%80_%E0%A4%B2%E0%A4%A1%E0%A4%BC%E0%A4%95%E0%A5%80_/_%E0%A4%95%E0%A5%81%E0%A4%AE%E0%A4%BE%E0%A4%B0_%E0%A4%85%E0%A4%82%E0%A4%AC%E0%A5%81%E0%A4%9C&feed=atom&action=historyकाली लड़की / कुमार अंबुज - अवतरण इतिहास2024-03-28T09:03:44Zविकि पर उपलब्ध इस पृष्ठ का अवतरण इतिहासMediaWiki 1.24.1http://kavitakosh.org/kk/index.php?title=%E0%A4%95%E0%A4%BE%E0%A4%B2%E0%A5%80_%E0%A4%B2%E0%A4%A1%E0%A4%BC%E0%A4%95%E0%A5%80_/_%E0%A4%95%E0%A5%81%E0%A4%AE%E0%A4%BE%E0%A4%B0_%E0%A4%85%E0%A4%82%E0%A4%AC%E0%A5%81%E0%A4%9C&diff=18401&oldid=prevHemendrakumarrai: New page: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=कुमार अंबुज |संग्रह=किवाड़ / कुमार अंबुज }} '''काली लड़की...2008-01-03T15:49:39Z<p>New page: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=कुमार अंबुज |संग्रह=किवाड़ / कुमार अंबुज }} '''काली लड़की...</p>
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{{KKRachna<br />
|रचनाकार=कुमार अंबुज<br />
|संग्रह=किवाड़ / कुमार अंबुज<br />
}}<br />
<br />
<br />
'''काली लड़की'''<br><br><br />
अपने सामाजिक अंधकार से निकलकर<br><br />
एक काली लड़की<br><br />
मेरे स्वप्न के उजास में प्रवेश करती है<br><br><br />
<br />
उजास में रात की कालिमा घुल जाती है<br><br />
दमकती है काली लड़की की देह<br><br />
सप्त-धातु की बेजोड़ मूर्ति की तरह<br><br />
चमकता है काली लड़की का शिल्प<br><br />
बारिश में बिजली की तरह मुस्कराती है वह<br><br><br />
<br />
हंसों की एक पंक्ति काले आसमान से गुज़र जाती है<br><br><br />
<br />
काली लड़की की आँखें गहरी काली हैं<br><br />
वे मेरे स्वप्न की सुरक्षा से बाहर नहीं आना चाहतीं<br><br />
उन आँखों में गौर-वर्ण के अनुभवों का<br><br />
ठोस अँधेरा है<br><br />
जो लड़की के उजले सपनों में टूट-टूटकर गिरता है<br><br><br />
<br />
एटलस की तरह घूमती हुई रात्रि हर बार<br><br />
मेरे स्वप्न के अफ्रीका पर आकर <br><br />
ठहर जाती है।<br><br />
(1990)</div>Hemendrakumarrai